कोटेश्वर एचईपी, टिहरी बांध, हाइड्रो पावर कॉम्प्लेक्स (2400 मेगावाट) का एक अभिन्न अंग है जो इससे लगभग 22 किमी डाउनस्ट्रीम में स्थापित किया गया है। कोटेश्वर में भागीरथी नदी पर 97.5 मीटर ऊंचा कंक्रीट ग्रेविटी बांध और दाहिने किनारे पर एक सतही विद्युत गृह स्थापित किया गया है जिसमें 100-100 मेगावाट की चार पारंपरिक प्रकार (फ्रांसिस) की उत्पादन यूनिट लगी हैं । बांध में 13243 क्यूमेक्स संभावित अधिकतम जल (पीएमएफ) की निकासी हेतु 4 स्पिलवे प्रतिस्थापित किए गए हैं। ओवरफलो स्पिलवे और ऊर्जा अपव्यय व्यवस्था नदी मार्ग में ही केंद्रीय रूप से स्थापित की गई है। कोटेश्वर जलाशय की भंडारण क्षमता 35.0 एमसीएम है और यह पीएसपी टिहरी के लिए निचले (संतुलन) जलाशय के रूप में कार्य करता है।
टिहरी जलाशय से छोड़े गए जल को कोटेश्वर एचईपी द्वारा विनयमित किया जाता है जिससे कि कोटेश्वर के डाउनस्ट्रीम में नदी में निरंतर प्रवाह बना रहे तथा सिंचाई में इसका प्रयोग किया जा सके तथा जल में रहने वाले जीवों के साथ ही जनता की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके। इसके साथ ही देवप्रयाग, ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे स्थानों पर रहने वाले लोगों तथा तीर्थयात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके। निरंतर प्रवाह बनाए रखने में मदद के लिए केएचईपी की कम से कम एक मशीन लगातार चलती रहती है। टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लेक्स के कार्यान्वयन की सुविधा हेतु केएचईपी उत्तरी ग्रिड में एक प्रमुख पीकिंग स्टेशन के रूप भूमिका निभा रहा है।
सभी चार इकाइयां (यूनिट- I से IV) मार्च 2011, मार्च 2011, जनवरी 2012 और मार्च 2012 में उत्तरी ग्रिड के साथ सिंक्रोनाइज कर दी गई और क्रमशः 01 अप्रैल 2011, 26 अक्टूबर 2011, 13 फरवरी 2012 और 01 अप्रैल 2012 से वाणिज्यिक संचालन में हैं।