टीएचडीसी के मिशन में मानवीय दृष्टिकोण से आरएंडआर मुद्दों का समाधान करना है। परियोजनाओं के कार्यान्वयन में पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।
भारत सरकार की राष्ट्रीय नीति आरएंडआर, 2007 (एनपीआर 2007) है और टीएचडीसीआईएल ने अपनी परियोजनाओं हेतु आरएंडआर नीति को अंतिम रूप देते समय एनपीआरआर, 2007 में कहीं अधिक सुधार लाने का प्रयास किया है। आरएंडआर मुद्दों की महत्ता पर विचार करते हुए परियोजना तैयारी चरण से ही आवश्यक सावधानी बरती गई है। भूमि अधिग्रहण और तदनंतर विस्थापन से प्रभावित जनता की उत्पादक परिसंपत्तयों, आय के साधन, निवास, सामुदायिक ढांचे, सामाजिक संबंधों, सांस्कृतिक पहचान, परंपरागत प्राधिकार और उनके आर्थिक अंतर-निर्भरता सहित सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय स्थिति पर प्रभाव पड़ेगा। परियोजना प्रभावित परिवारों की आवश्यकताओं एवं अपेक्षाओं को समझने के लिए पारदर्शी तरीके से प्रभावित समुदायों के साथ बार-बार परामर्श किए जाते हैं।
स्थानीय जनता की आवश्यकताओं और अपेक्षाओं तथा उनकी सांस्कृतिक एवं सामाजिक महत्वाकांक्षाओं का विश्लेषण करने के बाद आरएंडआर नीति एवं पुनर्वास कार्य योजना(आरएपी) तैयार की गई है। आरएपी का समग्र उद्देश्य परियोजना प्रभावित परिवारों के पुनर्स्थापन के बाद उनके रहन-सहन के स्तर में सुधार लाना सुनिश्चित करना है।
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