प्रचालनाधीन विद्युत संयंत्र:
वर्तमान में, टीएचडीसीआईएल की कुल स्थापित क्षमता 2,747 मेगावाट है, जिसमें 1,924 मेगावाट जलविद्युत (टिहरी एचपीपी 1,000 मेगावाट, टिहरी पीएसपी इकाई 1 और 2 (500 मेगावाट), कोटेश्वर एचईपी 400 मेगावाट, और ढुक्वां एसएचपी 24 मेगावाट), 113 मेगावाट पवन (पाटन 50 मेगावाट और देवभूमि द्वारका 63 मेगावाट), 50 मेगावाट सौर (कासारगोड सौर संयंत्र, केरल) और 660 मेगावाट ताप विद्युत (खुर्जा एसटीपीपी इकाई-1, उत्तर प्रदेश) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, टीएचडीसीआईएल मध्य प्रदेश में 5.6 एमटीपीए उत्पादन क्षमता वाली अमेलिया कोयला खदान का संचालन करती है।
निर्माणाधीन परियोजनाएं:
वर्तमान में, टीएचडीसीआईएल के पास 955 मेगावाट की तीन जलविद्युत/नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ और 660 मेगावाट की एक तापीय परियोजना निर्माणाधीन है। इनमें उत्तराखंड में टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट यूनिट 3 और 4 (500 मेगावाट), विष्णुगाड उत्तराखंड में पीपलकोटी हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (444 मेगावाट), उत्तर प्रदेश में खुर्जा एसटीपीपी में फ्लोटिंग सोलर पावर प्रोजेक्ट (11 मेगावाट) , और उत्तर प्रदेश में खुर्जा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट यूनिट -2 (660 मेगावाट)।
परियोजना पाइपलाइन और विस्तार:
टीएचडीसीआईएल भारत के कई राज्यों—जिनमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। इनमें विकास के विभिन्न चरणों के तहत परियोजनाओं के एक विविध पोर्टफोलियो के साथ एक महत्त्वाकांक्षी विस्तार रणनीति का अनुसरण कर रहा है। कंपनी के विकास रोडमैप में जल विद्युत परियोजनाएँ, पंप भंडारण, सौर (ग्राउंड माउंटेड, रूफटॉप और फ्लोटिंग सौर पीवी प्लांट) और अन्य परियोजनाएँ शामिल हैं, जो एक सतत और स्वच्छ ऊर्जा के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
इसके अतिरिक्त, टीएचडीसीआईएल उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों के साथ रणनीतिक संयुक्त उद्यमों के माध्यम से सक्रिय रूप से अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्क (यूएमआरईपीपी) विकसित कर रहा है। ये साझेदारियाँ स्वच्छ ऊर्जा की ओर बदलाव को गति देने के लिए बड़े पैमाने पर सौर और हाइब्रिड परियोजनाओं की स्थापना पर केंद्रित हैं।"
एक सुदृढ़ परियोजना पाइपलाइन और रणनीतिक सहयोग के साथ, टीएचडीसीआईएल आने वाले दशक में अपनी स्थापित क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करने के लिए तैयार है, जिससे भारत के सतत ऊर्जा अवसंरचना में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में इसकी भूमिका मजबूत होगी।