विष्णुगाड-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना (वीपीएचईपी), टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड में दिनांक 18 मार्च 2025 को वित्तीय वर्ष 2024-25 की अंतिम हिंदी कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का शुभारंभ परियोजना प्रमुख श्री अजय वर्मा के साथ महाप्रबंधक (यांत्रिक, समा. एवं पर्या.) श्री जे.एस. बिष्ट, एवं महाप्रबंधक (टीबीएम) श्री के.पी. सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।

परियोजना प्रमुख श्री अजय वर्मा ने अपने संबोधन में कहा, "राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार और इसके सतत उपयोग से सरकारी कार्यों की दक्षता एवं प्रभावशीलता में वृद्धि होती है। हमें हिंदी को अपने कार्यालय के कार्यों मेंn अधिकाधिक अपनाना चाहिए ताकि सरकारी संचार सरल और प्रभावी बन सके।" उन्होंने सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से आह्वान किया कि वे अपने दैनिक कार्यों में हिंदी का अधिकतम उपयोग करें और विभागीय रिपोर्ट, पत्राचार एवं अन्य दस्तावेजों में हिंदी को प्राथमिकता दें।
इस कार्यशाला में राजभाषा हिंदी के प्रयोग एवं उसके महत्व पर विशेष चर्चा की गई। कार्यशाला में श्री डी.एस. रावत (पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक, राजभाषा) ने प्रशिक्षक के रूप में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और हिंदी के प्रावधानों, आधिकारिक कार्य में उसके अनुप्रयोग तथा व्यवहारिक पहलुओं पर विस्तार से जानकारी प्रदान की। उन्होंने सरकारी कार्यालयों में राजभाषा हिंदी के प्रभावी उपयोग हेतु अनेक उपयोगी सुझाव दिए।
इस अवसर पर परियोजना के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे, जिनमें अपर महाप्रबंधक (नियोजन एवं सुरक्षा) श्री बी.एस. पुंडीर, अपर महाप्रबंधक (वित्त) श्री अनूप कुमार श्रीवास्तव, वरिष्ठ प्रबंधक (मा.सं. एवं प्रशा.) श्री वी.डी. भट्ट, सहायक प्रबंधक (जनसंपर्क) श्री अविनाश कुमार, कनिष्ठ अधिकारी (हिंदी) श्री जी.पी. घिल्डियाल एवं अन्य अधिकारीगण शामिल रहे।
इस कार्यशाला का उद्देश्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों को हिंदी के नियमों एवं सरकारी कामकाज में उसके सही उपयोग के प्रति जागरूक करना था। उपस्थित अधिकारियों ने कार्यशाला से प्राप्त जानकारी को अपने कार्यक्षेत्र में लागू करने का संकल्प लिया।
इसके साथ ही, दिनांक 19 मार्च 2025 को अधिकारियों एवं कर्मचारियों हेतु राजभाषा प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य हिंदी के प्रति जागरूकता बढ़ाना एवं राजभाषा को कार्य संस्कृति में अधिक प्रभावी ढंग से शामिल करना था।

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