पुनर्वास: पुनर्वास एवं पुनर्स्‍थापन

पृष्‍ठभूमि

टिहरी काम्‍पलैक्‍स के निर्माण के कारण कुल क्षेत्र 5200 हे. जलमग्‍न हो जाएगा। इसके साथ ही पुराना टिहरी शहर एवं 26 गांव (कोटेश्‍वर के 02 गांव सहित ) पूर्ण रूप से जलमग्‍न हो जाएंगे, जबकि  अन्‍य 86 गांव (कोटेश्‍वर के 14 गांव सहित) केवल आंशिक रूप से प्रभावित होंगे।  इसके अलावा ढांचागत सुविधाओं जैसे वर्कशॉप, परियोजना कालोनी  तथा नगरीय जनसंख्‍या के पुनर्वास हेतु नई टिहरी टाउनशिप के निर्माण के लिए 13 और गांव भी प्रभावित होंगे।

पुनर्वास योजना

पुनर्वास योजना को व्‍यापक रूप से ग्रामीण पुनर्वास एवं शहरी पुनर्वास में विभाजित किया गया है। ग्रामीण पुनर्वास के अंतर्गत प्रभावित परिवारों को ‘’पूर्ण प्रभावित’’ या ‘’ आंशिक प्रभावित’’ में वर्गीकृत किया गया है। ऐसे परिवार जिनकी 50%  या अधिक भूमि अधिग्रहित की गई है, को पूर्ण प्रभावित माना गया है। ऐसे परिवार जिनकी 50% से कम भूमि जलमग्‍न क्षेत्र में शामिल है, को आंशिक  प्रभावित में वर्गीकृत किया गया है। टिहरी शहर की शहरी जनसंख्‍या के मामले में 06.06.1985 की नियत तिथि को शहर में रह रहे सभी 5291 परिवारों को पूर्ण प्रभावित माना गया है।

टिहरी बांध के कारण ग्रामीण पुनर्वास के अंतर्गत 5429 परिवार पूर्ण प्रभावित हैं, जिनका पुनर्विस्‍थापन किया जाना है। अन्‍य 3810 ग्रामीण परिवार आंशिक प्रभावित परिवार हैं, जिनको नहीं हटाया जाना है, उन्‍हें डूब क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली उनकी भूमि के लिए नगद क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाएगा या उन्‍हें उनकी भूमि के बराबर जलमग्‍न स्‍तर से ऊपर भूमि आवंटित की जाएगी।

शहरी पुनर्वास में नियत तिथि जून, 1985 की कट ऑफ डेट के भीतर कुल 5291 परिवारों को शामिल किया गया है।

कार्यान्‍वयन

सरकार के निर्णय के अनुसार, गढ्वाल आयुक्‍त के नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण के अधीन आर एण्‍ड आर कार्यो को कार्यान्‍वयन हेतु जनवरी, 1999 में उ.प्र. सरकार को हस्‍तांतरित किया गया जिनके लिए धन टीएचडीसी को उपलब्‍ध करवाना था । उत्‍तरांचल राज्‍य का गठन होने से, जनवरी, 2001 से आर एण्‍ड आर कार्यो का कार्यान्‍वयन उत्‍तरांचल राज्‍य सरकार के द्वारा किया जा रहा है ।

पुनर्वास नीति की प्रमुख विशेषताएं

पुनर्वास नीति के गठन को निर्देशित करने वाले मूल सिद्धांत:

  1. ग्रामीण विस्‍थापितों को उनकी भूमि के बदले में कृषि भूमि का आवंटन या नगद भुगतान कर क्षतिपूर्ति की जानी है।
  2. ग्रामीण विस्‍थापितों को बड़े समूह में बसाया जाना चाहिए ताकि उनके सामाजिक जीवन  का ताना-वाना बरकरार रहे ।
  3. जहां तक संभव हो, विस्‍थापितों या उनके प्रतिनिधियों को पुनर्वास केन्‍द्रों के चयन में  शामिल किया जाए।
  4. जहां तक संभव हो, किसी विशेष केन्‍द्र पर बसने की विस्‍थापितों की प्राथमिकता पर विचार किया जाए ।
  5. प्रत्‍येक ग्रामीण पुनर्वास केन्‍द्र पर सामुदायिक सुविधाएं परियोजना की लागत पर उपलब्‍ध करवायी जाए भले ही ये सुविधाएं उनके पहले की बस्तियों में मौजूद नहीं थीं।

पुनर्वास पैकेज

पुनर्वास नीति के गठन को निर्देशित करने वाले निर्धारित सिद्धांतों की रूपरेखा के अंतर्गत, एक आकर्षक एवं उदार पुनर्वास पैकेज विकसित किया गया, जिसमें समय-समय पर उपायों सहित सुधार किया गया।हनुमंत राव कमेटी की सिफारिशों के आधार पर सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया । पुनर्वास पैकेज निम्‍नानुसार है:-

परिवार की परिभाषा:

भू स्‍वामियों हेतु पुनर्वास लाभ की पात्रता के उद्देश्‍य से, परिवार का प्रतिनिधित्‍व परिवार के मुखिया, जिसके नाम पर उक्‍त तिथि को धारा -4(i) की अधिसूचना के अनुसार राजस्‍व रिकार्ड में भूमि दर्ज हो, जिसमें उस पर आश्रित सभी सदस्‍य शामिल हों। भू स्‍वामी (परिवार के मुखिया) की मृत्‍यु के मामले में, धारा -4(i) की पूर्व अधिसूचना जारी होने पर, सभी कानूनी उत्‍तराधिकारी पुनर्वास लाभ प्राप्‍त करने के पात्र हैं। 

पूर्ण प्रभावित पात्र परिवार के सभी प्रमुख पुत्र एवं अविवाहित पुत्री, जिन्‍होंने 21 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली हो तथा आश्रित माता-पिता (माता/पिता) अनुदान राशि के भुगतान के पात्र होंगे।

ग्रामीण पैकेज - भू स्‍वामी परिवार

  1. देहरादून, हरिद्वार या ऋषिकेश शहरों की नगरपालिका की सीमा से लगी दो एकड़ विकसित सिंचाई भूमि, या आधा एकड़ विकसित सिंचाई भूमि या आवंटित भूमि के बदले 5 लाख रुपये नगद, उनके विकल्‍प के अनुसार । 
  2. भू अधिग्रहण अधिनियम  के अनुसार अधिग्रहित भूमि हेतु मुआवजा तथा 30% की दर से हर्जाना. यदि अधिग्रहित भूमि दो एकड़ से कम है तो भी दो एकड़ विकसित सिंचाई भूमि दी जानी है, उसकी कीमत को अधिग्रहित भूमि के लिए देय भुगतान की राशि से समायोजित किया जाए। यदि अधिग्रहित भूमि की कीमत आवंटित भूमि से अधिक है, तो विस्‍थापितों को अंतर कीमत का भुगतान किया जाएगा तथा यदि यह कम है तो, इसकी वसूली नहीं की जाएगी।
  3. अधिग्रहित घर सम्‍पत्ति/वृक्षों का मूल्‍यांकन लो.नि.वि./वन/वागवानी विभाग की दरों पर किया जाना है तथा हरजाने को भी जोड़ा जाना है। इसके अलावा, अधिकतम 50,000 रु. देय होने के अध्‍यधीन एक्‍सग्रेशिया को मूल्‍यहृास की राशि के बराबर रखा जाना है। मकान होने के मामले में न्‍यूनतम मुआवजा 1.00 लाख रु. है। 
  4. प्रत्‍येक परिवार को नाममात्र दरों पर 200 वर्ग मी. के आवासीय प्‍लॉट का आवंटन ।
  5. शिफ्ट करने हेतु 5200/ रु. तथा बीज/खाद हेतु 4960 रु. का नगद अनुदान ।
  6. 15000/ रु.का अतिरिक्‍त प्रोत्‍साहन अनुदान उनको देय है जो मुआवजा के अवार्ड होने की तिथि से या भूमि के आवंटन की तिथि से, जो भी बाद में आए के 6 माह के भीतर अपनी अधिग्रहित सम्‍पत्ति को सौंपने के पश्‍चात शिफ्ट करते हैं।
  7. पूर्ण प्रभावित ग्रामीण परिवारों के सभी पात्र अतिरिक्‍त परिवार सदस्‍य जिन्‍होंने 19.07.1990 को 21 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली हो तथा आश्रित माता-पिता(माता/पिता) प्रत्‍येक सदस्‍य के हिसाब से 750 दिन की न्‍यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर अनुदान राशि प्रदान की जाएगी।
  8. प्रत्‍येक ग्राम्‍य दुकानदार को अवस्थिति के आधार पर 80,000/रु. से 1,20,000/रु.- का नगद अनुदान।

भूमिहीन कृषि श्रमिक

  1. जैसा कि परियोजना प्रभावित ग्रामीण परिवारों पर लागू है, संबंधित जिला प्रशासन के प्रमाणीकरण पर भू मुक्‍त करने की कीमत 2 एकड़/ 1/2 एकड़/ की दर से 5.00 लाख रु.  नगद का विकल्‍प।
  2. पूर्ण प्रभावित ग्रामीण परिवारों पर लागू परिवार के अतिरिक्‍त सदस्‍यों को अनुदान का  भुगतान।  

शहरी पैकेज

  1. नजूल भूमि धारकों सहित भूमि मालिकों को उनकी जोत के अनुपात में विभिन्न आकार (60, 100, 150, 200, 250 और 300 वर्ग मीटर) के आवासीय भूखंड बहुत मामूली कीमत पर (150 वर्गमीटर तक के प्लॉट के लिए 5 रुपये प्रति वर्ग मीटर से लेकर 300 वर्गमीटर आकार के प्लॉट तक के लिए 150 रुपये प्रति वर्गमीटर तक ) विकल्‍प के अनुसार दिए जाते हैं। ग्रामीण के मामले में गणना की गई गृह संपत्ति के मुआवजे के अलावा संपत्तियां (विकसित भूखंड की औसत दर 1000/रु.- रुपये प्रति वर्ग मीटर की सीमा में है)।
  2. मकान निर्माण सहायता, भू-स्वामियों को पहले से भुगतान किए गए मुआवजे को घटाकर निम्नलिखित दरों पर अनुदान;
    • 60 –100 वर्गमीटर प्‍लॉट धारक  -  2.50 लाख रु.
    • 150-200 वर्गमीटर प्‍लॉट धारक - 3.50 लाख रु.
    • 250-300 वर्गमीटर प्‍लॉट धारक -  4.50 लाख रु.
  3. पात्र किराएदार को तैयार मकान/फ्लैट के लिए 1989 से पूर्व की रियायत दरों पर।
  4. बेनाप मकान मालिक, जिन्‍होंने 06.06.1985 से पूर्व मकान का निर्माण कर दिया था को या तो मकान/फ्लैट या प्‍लॉट (उपलब्‍ध होने पर)  आवंटित किए जाते हैं।
  5. पुराने टिहरी शहर में चालू दुकान वाले दुकानदारों को नई टिहरी/देहरादून/ऋषिकेश शहर में रियायती कीमत(1600/रु. प्रति वर्ग मी.) पर दुकान का आवंटन।
  6. दुकानदारों के लिए ‘’ साज सज्‍जा’’ हेतु मुआवजा।
  7. एक दुकान ऐसे दुकान मालिक को आवंटित की जानी है, जो पुराने टिहरी शहर में स्‍वयं दुकान नहीं चलाते थे।
  8. घर के सामान के परिवहन हेतु 3000/ रु. से 4000/रु. एवं वाणिज्यिक सामान हेतु  1500/रु. से 2000/ रु. का नगद अनुदान। इसके अलावा पात्र परिवार, जिहोंने अपनी अधिग्रहित सम्पत्‍त‍ि सौंप दी है तथा प्‍लॉट/फ्लैट आवंटन की तिथि से 06 माह के भीतर अपने नये स्‍थल पर शिफ्ट कर लिया है को, प्रोत्‍साहन अनुदान के रूप में प्रति परिवार को 12000 रु. देय हैं। 
  9. ईडब्‍ल्‍यूएस परिवारों को निशुल्‍क एक कमरे का फ्लैट, अधिकतम 100 परिवारों को 
  10. पात्र भू स्‍वामी परिवारों के सभी अतिरिक्‍त पात्र परिवार के सदस्‍यों को, ग्राम्‍य पैकेज के अंतर्गत परिभाषित मापदंड के अनुसार प्रत्‍येक सदस्‍य को 750 दिन की न्‍यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर एक्‍सग्रेशिया राशि प्रदान करेंगे।
  11. प्‍लॉट(1.10 लाख रु. से 3.00 लाख रु. तक), फ्लैट( 1.00 लाख रु.) एवं दुकान (0.25 लाख रु. से 0.60 लाख रु. तक) के आवंटन के बदले में नगद का विकल्‍प होगा।
  12. उत्‍तरांचल सरकार ने पुरानी टिहरी शहर के दुकानदारों को दुकान की श्रेणी के आधार    पर 1.00 लाख रु. से 3.00 लाख रु. तक का नगद अनुदान का भुगतान किया।
  13. उत्‍तरांचल सरकार ने पुरानी टिहरी शहर के वर्ष 1985 से पूर्व प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्‍ताओं को, प्रत्‍येक को 1.50 लाख रु. का नगद अनुदान प्रदान किया।