Posted on: डी, एम / डी / वाई - एच :42 By: thdcadmin

2016:- ढुकवां एसएचईपी (24 मेगावाट) के सिविल कार्य एवार्ड किए गए। पाटन, गुजरात में 50 मेगावाट पवन विद्युत संयंत्र चालू किया गया।/li>

2014:- वीपीएचईपी (444 मेगावाट) के सिविल एवं एचएम एवं ईएम कार्य एवार्ड किए गए।

2013:- दिस्मबर,2013 में वन-भूमि को वीपीएचईपी के लिए डायवर्ट किया गया। टिहरी एचपीपी ने केदारनाथ में आई बाढ़ से हुई तबाही को कम किया और ऋषिकेश एवं हरिद्वार पावन नगरों को बचाया।

2012:- कोटेश्वर विद्युत संयंत्र (400 मेगावाट) पूर्ण रूप से कार्यशील हो गया।

2011:- कोटे’वर एचईपी की दो यूनिटें चालू की गई। भागीरथीपुरम, टिहरी गढ़वाल में टींएचडीसी इंस्टीटयूट ऑफ हाइड्रो पावर इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी की स्थापना की गई।

2010:- टींएचडीसी इंडिया लिमिटेड को अनुसूची-ए का दर्जा दिया गया।

2009:- अक्टूबर,2009 में टींएचडीसीआईएल को ‘मिनी रत्न-श्रेणी- I’ का दर्जा दिया गया। कारपोरेशनका नाम बदलकर टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड हो गया।

2008:- भारत सरकार द्वारा 444 मेगावाट वीपीएचईपी का निवेश अनुमोदन किया गया।

2007:- टिहरी चरण- I की यूनिट-प् और यूनिट- II का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हुआ।

पदनाम
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
Tenure
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श्री आर.एस.टी. शाई