2016:- ढुकवां एसएचईपी (24 मेगावाट) के सिविल कार्य एवार्ड किए गए। पाटन, गुजरात में 50 मेगावाट पवन विद्युत संयंत्र चालू किया गया।/li>
2014:- वीपीएचईपी (444 मेगावाट) के सिविल एवं एचएम एवं ईएम कार्य एवार्ड किए गए।
2013:- दिस्मबर,2013 में वन-भूमि को वीपीएचईपी के लिए डायवर्ट किया गया। टिहरी एचपीपी ने केदारनाथ में आई बाढ़ से हुई तबाही को कम किया और ऋषिकेश एवं हरिद्वार पावन नगरों को बचाया।
2012:- कोटेश्वर विद्युत संयंत्र (400 मेगावाट) पूर्ण रूप से कार्यशील हो गया।
2011:- कोटे’वर एचईपी की दो यूनिटें चालू की गई। भागीरथीपुरम, टिहरी गढ़वाल में टींएचडीसी इंस्टीटयूट ऑफ हाइड्रो पावर इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी की स्थापना की गई।
2010:- टींएचडीसी इंडिया लिमिटेड को अनुसूची-ए का दर्जा दिया गया।
2009:- अक्टूबर,2009 में टींएचडीसीआईएल को ‘मिनी रत्न-श्रेणी- I’ का दर्जा दिया गया। कारपोरेशनका नाम बदलकर टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड हो गया।
2008:- भारत सरकार द्वारा 444 मेगावाट वीपीएचईपी का निवेश अनुमोदन किया गया।
2007:- टिहरी चरण- I की यूनिट-प् और यूनिट- II का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हुआ।
पदनाम
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक