नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, हरिद्वार के तत्वावधान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की के सौजन्य से सदस्य संस्थानों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए 08 सितंबर, 2021 को हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया । यह आयोजन वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया । कार्यशाला का शुभारंभ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के प्रोफेसर श्री नागेन्द्र कुमार, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के वरि.हिंदी अधिकारी एवं सचिव नराकास की उपस्थिति में हुआ । कार्यशाला में व्याख्यान देने के लिए मुख्य संकाय सदस्य राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के उप निदेशक(कार्यान्वयन) को आमंत्रित किया गया था । सर्वप्रथम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के प्रोफेसर श्री नागेन्द्र कुमार ने संकाय सदस्य, श्री अजय मलिक एवं नराकास सचिव, श्री पंकज कुमार शर्मा एवं उपस्थित समस्त प्रतिभागियों का स्वागत किया । नराकास हरिद्वार के सचिव, श्री पंकज कुमार शर्मा ने कार्यक्रम के आयोजनकर्ता संस्थान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की का कार्यशाला के आयोजन हेतु आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस माह सदस्य संस्थानों में हिंदी दिवस का आयोजन एवं हिंदी सप्ताह/हिंदी पखवाड़ा/हिंदी माह कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार की अपेक्षा है कि इन कार्यक्रमों के दौरान हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिए जिसमें संस्थान के अधिकारियों व कर्मचारियों को भारत सरकार की राजभाषा नीति, अधिनियमों एवं नियमों की जानकारी दी जाए । इसी के दृष्टिगत यह विचार किया गया कि बड़े संस्थान तो अपने-अपने कार्यालयों में हिंदी कार्यशाला का आयोजन कर लेते हैं परन्तु छोटे-छोटे संस्थानों के कर्मचारियों को उपुर्यक्त विषयक जानकारी प्राप्त हो सके, इसी उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है । इस अवसर पर आमंत्रित संकाय सदस्य श्री अजय मलिक जी के द्वारा व्याख्यान देना वास्तव में महत्वपूर्ण है क्योकि श्री मलिक राजभाषा विभाग के साथ लंबें समय तक जुड़े रहे। हमें अपने कार्यालय के कार्य में उनके अनुभव से सीखकर राजभाषा कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए । कार्यशाला के मुख्य वक्ता श्री अजय मलिक ने अपने व्याख्यान में राजभाषा नीति, राजभाषा अनिधियम, 1963 एवं राजभाषा नियम, 1976 पर बहुत सारगर्भित व्याख्यान दिया । उन्होंने संविधान में राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग के लिए किए गए प्रावधानों के बारे में प्रतिभागियों को अवगत कराया तथा राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3(3) के अंतर्गत जारी किए जाने वाले 14 प्रकार के दस्तावेजों को सही रूप में द्विभाषी जारी करने की जानकारी दी । उन्होंने राजभाषा विभाग के द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापनों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह देखा गया है कि दस्तावेज मूल रूप से अंग्रेजी में जारी किए जाते हैं और उसके बाद आवश्यकतानुसार उनका हिंदी अनुवाद तैयार किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप पत्र का अभिप्राय ही समझ में नहीं आता और उसका आशय देखने के लिए अंग्रेजी संस्करण का सहारा लेना पड़ता है । इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे कर्मचारी जो हिंदी में प्रवीणता प्राप्त है उनके द्वारा धारा 3(3) के अंतर्गत जारी किए जाने वाले कागजात एवं राजभाषा नियम, 1976 के अंतर्गत जारी किए जाने वाले पत्र अनिवार्य रूप से मूल रूप से हिंदी में तैयार किए जाएं और ऐसे कर्मचारी जो कार्यसाधक ज्ञान रखते हों, वे यथासंभव सीमा तक ऐसे दस्तावेजों एवं पत्रों को मूल रूप से हिंदी में तैयार करें तथा आवश्यकतानुसार उनका अंग्रेजी अनुवाद कराया जाए। साथ ही उन्होंने अपने व्याख्यान में प्रतिभागियों को राजभाषा से संबंधित रिपोर्टिंग प्रणाली एवं अनेक अन्य ज्ञानप्रद जानकारी दी । चर्चा सत्र में अनेक कर्मचारियों ने श्री मलिक से उपर्युक्त विषय पर विभिन्न प्रश्न किए जिनका श्री मलिक ने समाधान किया । कार्यशाला में टीएचडीसी इंडिया लि., ऋषिकेश के 42 अधिकारियों के साथ-साथ नराकास हरिद्वार के सदस्य संस्थानों के कुल मिलाकर 86 कर्मचारियों ने प्रतिभागिता की । कार्यशाला के अंत में प्रो. नागेन्द्र कुमार ने श्री अजय मलिक के साथ-साथ सभी उपस्थित प्रतिभागियों का धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया ।