महाराष्‍ट्र सरकार ने अप्रैल 2008 में टीएचडीसीआईएल और एनपीसीआईएल के संयुक्‍त उपक्रम को परियोजना की उपयुक्‍तता का पता लगाने के लिए डीपीआर तैयार करने/अद्यतन करने तथा परियोजना उपयुक्‍त पाए जाने पर कार्यान्‍वयन हेतु आबं‍टित की गयी। डीपीआर तैयार करने/अद्यतन करने का सम्‍पूर्ण खर्च संयुक्‍त उपक्रम द्वारा वहन किया जाएगा।

700 मेगावाट की बढ़ी हुई संस्‍थापित क्षमता के साथ डीपीआर को सितंबर 2010 में सचिव (सीएडी), महाराष्‍ट्र सरकार को परियोजना के उपयुक्‍त होने पर एमओयू को निष्‍पादित करने के अनुरोध के साथ प्रस्‍तुत किया गया है।

2010 से अब तक माननीय मुख्‍यमंत्री और उप मुख्‍यमंत्री के अनुरोधों सहित कार्यान्‍वयन समझौते के निष्‍पादन के लिए विभिन्‍न स्‍तरों पर महाराष्‍ट्र सरकार के साथ विचार-विमर्श किया गया है। अब तक की चर्चा के मुख्‍य बिंदु इस प्रकार हैं-

  1. आबंटन पत्र की शर्तानुसार कार्यान्‍वयन अनुबंध के निष्‍पादन हेतु महाराष्‍ट्र सरकार के विभिन्‍न स्‍तरों से अनुरोध। (2010 से 2014)
  2. मसौदा कार्यान्‍वयन समझौते के निबंधन एवं शर्तों पर चर्चा। (अप्रैल-15)
  3. संयुक्‍त उपक्रम में लगभग 26% से 30% की राज्‍य सरकार की हिस्‍सेदारी के साथ परियोजना के कार्यान्‍वयन के लिए एक भागीदार के रूप में संयुक्‍त उपक्रम में शामिल होने की उनकी इच्‍छा पर महाराष्‍ट्र सरकार के साथ चर्चा। टीएचडीसीआईएल ने नए संयुक्‍त उपक्रम में सरकार की 30% तक इक्विटी भागीदारी के साथ इसके लिए सहमति प्रदान की। (अप्रैल-2015)
  4. वित्‍त विभाग के परामर्श पर महाराष्‍ट्र सरकार ने सूचित किया है कि राज्‍य में बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं के लिए वर्तमान देनदारियों के कारण, वित्‍तीय संकट, किसानों की ऋण माफी और राज्‍य में सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के कार्यान्‍वयन के वित्‍तीय बोझ के कारण, इस स्थिति में अनुमोदन देना संभव नहीं है और इस प्रकार मालशेज घाट के विकास को रोक दिया गया है। (अक्‍टूबर-17)
  5. टीएचडीसीआईएल ने महाराष्‍ट्र सरकार को प्रस्‍ताव दिया है कि महाराष्‍ट्र सरकार की वर्तमान देनदारियों को देखते हुए, टीएचडीसीआईएल अपने आंतरिक संसाधनों के माध्‍यम से परियोजना लागत के पूर्ण इक्विटी घटक को हासिल करेगा, और महाराष्‍ट्र सरकार को परियोजना में निवेश करने की आवश्‍यकता नहीं है। महाराष्‍ट्र सरकार कार्यान्‍वयन समझौते को कर सकती है और पीपीए सीईआरसी विनियमों के आधार पर अतिरिक्‍त लागत पर पूर्ण विद्युत क्रय कर सकती है। (दिसंबर-17)
  6. महाराष्‍ट्र सरकार ने सूचित किया है कि ग्रिड की वर्तमान दर पर पंपिंग ऊर्जा लागत पर विचार करते हुए, यदि परियोजना से नवीनतम रूपांतरण लागत रु. 5 प्रति यूनिट है तब महाराष्ट्र सरकार मालसेज घाट पीएसएस के लिए कार्यान्‍वयन समझौते और पीपीए पर हस्‍ताक्षर करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर सकती है। (अप्रैल-19 से दिसंबर-20)
  7. अंतत: टीएचडीसीआईएल ने पंपिगं पावर के बिना रु.3.89/यूनिट की संशोधित दर सूची प्रस्‍तुत की है। (दिसंबर -20)
  8. महाराष्‍ट्र सरकार ने ऊर्जा विभाग के साथ बिना पीपीए के साथ-साथ परियोजना विकास में महाराष्‍ट्र सरकार द्वारा इक्विटी योगदान के साथ/बिना विभिन्‍न संभावित वाणिज्यिक मॉडलों की जानकारी मांगी है। (सितंबर-21)
  9. टीएचडीसीआईएल ने महाराष्‍ट्र सरकार को विभिन्‍न मॉडल और विकल्‍प प्रस्‍तुत किए हैं। (सितंबर/अक्‍टूबर-21)
  10. महाराष्‍ट्र सरकार ने निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्‍यम से राज्‍य के पीएसएस के विकास के लिए मसौदा नीति तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है। (दिसंबर-21)
  11. टीएचडीसीआईएल के साथ पहली बैठक दिनांक 15.12.2021 को सपंन्‍न हुई जिसमें टीएचडीसीआईएल द्वारा महाराष्‍ट्र सरकार को प्रस्‍तावित विभिन्‍न वित्‍तीय मॉडलों पर चर्चा की गई थी।
  12. हाल ही में टीएचडीसीआईएल के अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने महाराष्‍ट्र सरकार के वरिष्‍ठ अधिकारियों से टीएचडीसीआईएल और महाराष्‍ट्र कृष्‍णा वैली डेवलपमेंट कॉरपोरेशन का एक संयुक्‍त उपक्रम का गठन कर परियोजना के कार्यान्‍वयन के संबंध में बातचीत की है।
  13. महाराष्‍ट्र सरकार ने परियोजना के आंकलन और राज्‍य सरकार को संस्‍तुति देने हेतु 31 मार्च, 2022 और 01 अप्रैल, 22 को परियोजना स्‍थल पर एक तकनीकी टीम का गठन किया है ।
  14. टीएचडीसीआईएल के प्रतिनिधियों ने राज्‍य सरकार की टीम के साथ दिनांक 01.04.2022 को मालशेज घाट परियोजना का स्‍थलीय दौरा किया। टीएचडीसीआईएल ने अपने पत्र दिनांक 21.04.2022 द्वारा 31.03.2022 को आयाजित बैठक के दौरान समिति की टिप्‍पणियों के संबंध में अपने विचार प्रस्‍तुत किए ताकि समिति द्वारा भविष्‍य में आवश्‍यक कार्रवाई सम्‍पन्‍न की जा सके।
  15. विद्युत मंत्रालय द्वारा दिनांक 22.08.2022 के पत्र के माध्‍यम से महाराष्‍ट्र सरकार के मुख्‍य सचिव से मालशेज घाट पीएसएस के लिए कार्यान्‍वयन और पीपीए के संबंध में शीघ्र कार्रवाई हेतु अनुरोध किया गया है। महाराष्‍ट्र सरकार के प्रतिउत्‍तर की प्रतिक्षा है।